Netflix Guns and Gulaab Series Review in Hindi and Cast Real Name with Image: पुराने दिनो की याद दिला देगी ये सिरीज़

Action से भरपूर यह सिरीज़ आपको Nostalgia Feel करा देगी

Guns and Gulaabs Series Introduction / गन्ज़ और गुलाब्ज़ का परिचय

Raj और DK पेश है अपने नये धमाकेदार सिरीज़ के साथ। इस सिरीज़ में भी उन्होने उम्दा काम किया है जो उन्होने अपने पहले की सिरीज़ में किया था। वह इस सिरीज़ के लेखक, निर्देशक होने के साथ ही साथ प्रोड्यूसर भी है।

इस बार Netflix पर दिखेगा Raj और DK का जलवा, गन्ज़ और गुलाब्ज़ साथ लेके आये है और दिखाएंगे जलवा।

यह सिरीज़ एक छोटे से गाँव / श्हर में बसे दो इलाके गुलाब गंज और शेरपुर पर आधारित है, ये इलाके एक दूसरे के खिलाफ हमेशा खढ़े रहते है, उस जगह में अफीम की खेती होती है और उसी खेती पर वहाँ के लोंग अपना गुज़र बसर करते है। गुलबगंज का एक बहुत बढ़ा व्यापारी जिसका नाम गांची होता है वह अफीम का व्यापार करता है और उसके लिए काम करने वाले लोंग गांची गैंग के रूप मैं जाने जाते है।

इसी के साथ ही शेरपुर में भी एक व्यक्ति का राज चलता है जिसका नाम नबीद होता है वह पहले गांची गैंग में ही था पर कीसी कारण वश वह उन्से अलग होगे अपना अलग साम्राज्य बनाता है।

दो गैंग अफीम की ज्यादा से ज्यादा मांग पूरी करना चाहते है अपने उपर बैठे लोंगों की, तो वे दोनों किसानो से अफीम खरीदते है और आगे सप्लाइ करते है। गांची इस खेल का पुराना खिलाड़ी होता है तो उसके होते हुए नबीद कुछ नहीं कर पाता है।  सब कुछ सही चल रहा होता है पर चिज़े वहाँ से बदलना शुरू होती है जब नारकोटिक्स डिपार्टमेंट में एक नए  पुलिस वाले की नियुक्ति होती है और साथ ही गांची को एक बहुत बढ़ा ऑर्डर मिलता है।

Guns and Gulaabs Series Story Line / गन्ज़ और गुलाब्ज़ की कहानी

यह कहानी एक छोटे से गाँव में बसे दो इलाके गुलाब गंज और शेरपुर की है जो एक दूसरे से हमेशा मुक़ाबले में खड़े रहते है और एक दूसरे को नीचा दिखाना चाहता है।

उन्ही गाँव में से एक गाँव गुलाबगंज है जहाँ से यह कहानी शुरू होती है। गुलाब गंज में सभी लोंग अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्थ है किसी को किसी की जिंदगी से कोई मतलब नहीं है। और न ही वे एक दूसरे के जिंदगी में दखल देते है। क्योंकि उन सभी के रास्ते अलग है पर एक दिन ये सभी एक मोड़ पर जा टकराते है।

कहानी वहाँ से बदलना शुरू होती है जब सुकानतों नाम का व्यक्ति गुलाबगंज के गांची को अफीम का अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर देता है। वह इस डील के लिए मान तो जाता है पर उसे इसकी बहुत चिंता भी होती है। क्योंकि उसके लिए भी इतना बड़ा  ऑर्डर पूरा करना मुश्किल था। एक दिन इसी ऑर्डर की प्लानिंग करते करते वह छत से गिर जाता है जिसकी वजह से वह कोमा में चला जाता है और फिर वह डील खतरे में पड़ जाती है क्योंकि उसके अलावा कोई नहीं था जो यह कार्य ठीक तरह से संभाल सकता उसका एक बेटा था पर उसमें उतनी समझ नहीं था की वह इस ऑर्डर को भली भाति पूरा कर सके। इसी समय का फ़ायदा उठा कर नबीद गुलाबगंज के किसानो से ज़बरदस्ती अफीम उठवाने लगता है।

यह गैर कानूनी अफीम का व्यापार इसलिए इतना आसानी से चल रहा होता है क्योंकि वहाँ का पुलिस कमिश्नर मिश्रा उनका साथ देता है पर नारकोटिक्स डिपार्टमेन्ट में नए अफसर की नियुक्ति होते ही उनका यह व्यापार थोढ़ा डगमगाने लगता है। मिश्रा उसे समझाता है की यहाँ काम करने के कुछ नियम है पर वह अपने उसूलो का पक्का था।

Scene of Guns and Gulaabs

इसी के साथ एक और कहानी साथ चल रही होती है और वह है टीपू की कहानी जो गुलाबगंज का एक साधारण बाइक मकेनिक होता है पर उसका पिता गांची गैंग का एक खूंखार सदस्य, जो गांची के आदेश पर लोंगों को टपकाने का काम करता था पर कुछ दिन पहले ही उसके पिता को चाकू भोक कर किसी ने टपका दिया था। उसके पिता के देहांत पर गांची टीपू के घर आता  है और टीपू से मिलता है और अपने गैंग में काम करने के लिए कहता है पर वह मना कर देता है। क्योंकि उसे यह सब पसंद नहीं था। अपने पिता की मृत्यु का टीपू उतना दुख नहीं था।

इसी के साथ टीपू उस मोहल्ले में  रहने वाली एक लड़की से प्यार करता है जो स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाती थी। वह उसकी दुकान पर अपनी मोपेट अक्सर ठीक कराने आती थी। वह उससे प्यार करता था पर वह अपने दिल की बात उससे नहीं कह पा रहा होता है क्योंकि वह जानता था की वह उसके काबिल नहीं है पर एक दिन अपने दोस्त के कहने पर टीपू एक से अंग्रेजी में लव लेटर लिखवाता है और उसे देता है। पर उसे पढ़ कर वह नाराज़ हो जाती है। क्योंकि वह लेटर वह लड़का बदल देता है जो इसे लिखता है क्योंकि वह भी उस लड़की से प्यार करता है। वह लड़का कोई और नहीं उस टीचर का स्टूडेंट होता है। टीपू को बहुत दिन बाद अंदाज़ा होता है की लेटर में लिखा हुआ बदल दिया गया है उसके बाद वह फिर से लेटर लिखवाता है और फिर वह दोबारा लेटर देता है। पर वह मना कर देती है।

गांची गैंग को पता चलता है टीपू के पिता को नबीद ने मरवाया है और उसे मारने वाला कोई और नहीं जाना माना कांट्रैक्ट किलर है जिसका नाम आत्माराम है जो बड़े अलग अंदाज़ से चाकू से लोंगों को उपर पहुँचाने का काम करता है। उसके पिता को मारने के बाद नबीद अब उस व्यक्ति को टीपू को मारने का आदेश देता है पर वह टीपू को नहीं मार पाता है उसकी जगह उसका दोस्त मारा जाता है। उसके बाद टीपू अपने दोस्त के खून का बदला लेने के लिए गांची गैंग में शामिल हो जाता है। गैंग जॉइन करने से पहले टीपू से दो खून हो चुके होते है गलती से और जब यह खबर उस लड़की को लगती है जिससे टीपू प्यार करता है तो वह इम्प्रेस हो जाती है यह देख टीपू थोढ़ा हैरान होता है।

नरकोटिक्स डिपार्टमेंट में नियुक्त पुलिस वाले की एक फॅमिली होती है और वह उन्ही के साथ उस जगह शिफ्ट होता है। पर एक दिन उसे एक व्यक्ति का कॉल आता है जो उसे मिलने के लिए कहता है। और वह उस व्यक्ति से जेल में मिलने जाता है क्योंकि वह किसी अनसुलझे केस में अंदर चला जाता है तो वह उसे ब्लैक मेल करता है क्योंकि उसका एक लड़की से नाजायस संबंध होता है जिसकी जानकारी उसे थी तो वह उसे उसी के बल पर धमकाता है और उसके पास फोटोस भी थी जिससे वह और डर जाता है और उसके बातो को मानने के लिए तैयार हो जाता है।

इसके बदले वह पुलिस वाला उस व्यक्ति को अपनी कीमत लगाने को कहता है तो वह इतनी बढ़ी रकम लगाता है की उसके होश ऊढ़ जाते है। तब फिर वह पुलिस वाला सुकांतो से डील फिक्स करता है ताकि वह उस आदमी को पैसे दे सके और वह उसे ब्लैक मेल करना बंद कर दे। तो फिर वह खेतो से सारा माल उठाने लगता है। और कुछ ही दिन में वह पूरा माल इकठ्ठा कर लेता है। हलाकी नबीद इससे खुश नहीं था पर वह कुछ नहीं कर सकता था।

सिरीज़ के आखिरी में सब के रास्ते एक ही दिशा में जाने लगते है। टीपू का मकसद होता है उस व्यक्ति को मारना जिसने उसके दोस्त और पिता को मारा था। पुलिस वाले का होता है अफीम की डेलीवेरी देना, और गंची के बेटे का होता है उस अफीम को पुलिस वाले से लेके अपने पास रखना। नबीद का भी यही होता है पर वह मर जाता है जिसे उसी कांट्रैक्ट किल्लर ने मार दिया था।

सभी लोंग एक पुराने किले में जमा हो जाते है जहाँ पर उस पुलिस वाले की बेटी को किडनैप करके रखा जाता है और साथ ही में उस टीचर के एक स्टूडेंट को भी उन्ही लोगो को बचाने के लिए वे सभी वहाँ आ जाते है, उस पुलिस वाले कि लड़की का अपहरण इसलिए होता है क्योंकि एक व्यक्ति उस पुलिस वाले से बदला लेना चाहता है, वह व्यक्ति उसी कांट्रैक्ट किल्लर को यह अपहरण का काम देता है। टीपू मौका पाके  उस कांट्रैक्ट किल्लर को गोली मार के अपना बदला ले लेता है।

My Thoughts on Guns and Gulaabs / गन्ज़ और गुलाब्ज़ पर मेरे विचार

यह सिरीज़ उन्होने ही बनाई है जिनहोने The Family Man और Farzi बनाई है और वे दोनों सिरीज़ ही बहुत अच्छी है और भरपूर मनोरंजन देती है और उसी सिरीज़ में अब एक और नाम जुढ़ गया है।

यह सिरीज़ आपको नोस्टाल्गिक फील कराने में बिलकुल नहीं चुकती है। चाहे गाने हो या  कपढ़े हो,हैयर स्टाइल हो या लोकेशन काफी हद तक उस पुराने ज़माने को दोबारा बनाने में कामयाब होती है।

यह सिरीज़ आपको पहले एपिसोड में हुक कर लेगी पर 2 या 3 एपिसोड में आपको यह थोड़ी खिची खिची और उबाऊ महसूस हो सकती है, पर यदि आप इसे पार कर लेंगे तो आने वाले एपिसोड में आप आनंद से भर जायेंगे और तब आपको समझ आयेगा की वो सारी चिज़े आखिरी एपिसोड को बिल्ड करने में की गयी थी।

सिरीज़ में 7 एपिसोड है और हर एपिसोड  44 से 53 मिनट के बीच में है पर 7 वे एपिसोड को छोढ़ कर क्योंकि केवल वही एपिसोड 1 घण्टा 21 मिनट का है। यह एपिसोड इतना बढ़ा है की इसे दो एपिसोड में तोड़ा जा सकता था और 1-1 घण्टे का  दो एपिसोड बनाया जा सकता था पर ऐसा नहीं किया गया। मेरे विचार से ऐसा इसलिए नहीं किया गया है ताकि यह सिरीज़ आपको अंत में एक मूवी जैसा फील दे सके अपने लंबे एपिसोड के द्वारा पर यह एपिसोड उतना लंबा नहीं लगता है क्योंकि इस एपिसोड में चिज़े बहुत तेज़ी से हो रही होती है। पर फिर भी इसकी लंबाई आपको महसूस थोड़ी तो होगी ही।

इस सिरीज़ में कई जगह ट्विस्ट और टर्न आते है जिससे यह सिरीज़ आपको बांध कर रखती है और बोर होने का ज्यादा मौका नहीं देती। इसमें बराबर मात्रा में खून खराबा देखने को मिलता है पर कोई वैसा दृश्य नहीं जिससे इस सिरीज़ को आप अपने फॅमिली के साथ भी देख सकते है।  बस शर्त यह है की आप गालियों को पचा ले और वह भी ज्यादा नहीं परिस्थिति के हिसाब से वह एक दम फिट बैठती है।

यह सिरीज़ अपने नाम के साथ पूरी तरह से ईमानदार रहती है, पर सिरीज़ बिलकुल भी सिरियस नहीं होती। गंभीर स्थिति में भी यह कॉमेडी को साथ लेके चलती है। पर मेरे हिसाब से इसे सिरियस रखना चाहिये था  तब यह सिरीज़ एक अलग केटेगिरि में आती हालाकि इससे सिरीज़ में  कोई कमी नहीं आई है बस यह ऐसे भी बनाई जा सकती थी। पर Raj और DK को इतनी गंभीरता पसंद नहीं है।

Guns and Gulaabs Star Cast / गन्ज़ और गुलाब्ज़ कि स्टार कास्ट

Rajkumar Rao

राजकुमार राव इस सिरीज़ के मुख्य किरदारो में से एक है जिसका नाम टीपू है और उन्होने टीपू का किरदार बखूबी निभाया है जो एक सधरहद बिके बाइक मचनिक है जिसे दुनियाँ दारी से ज्यादा कोई मतलब नहीं है वह बस अपनी पसंद कि लढकी से प्यार करता है और उसके साथ ज़िंदगी बिताना चाहता है। उसके बस इतने ही सपने है जिस में वह खुश है।

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Gulshan Devaiah

कोंनरेक्ट किल्लर आत्माराम का किरदार करने वाले एक्टर गुलशन देवयः अपने किरदार में जमते है पर वह डरावने कम कोमीडीयान जायदा लगते है।

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Dulquer Salmaan

इसके साथ दुलकेर सलमान द्वारा निभाया गया रोल्ल उन पर काफी सूट करता है। उनकी दमदार आवाज़ पुलिस के किरदार को बराबर जचती है।

Satish Kaushik

इसके साथ ही गांची का किरदार निभाने वाले एक्टर सतीश कौशिक ने भी अपने किरदार को बहुत बढ़िया निभाया है उन पर वह किरदार बहुत सही बैठता है।

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Adarsh Gourav

इसके साथ ही गांची के बेटे का किरदार निभाने वाले एक्टर आदर्श गौरव ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है और आखिर में तो यह किरदार आपको चौका ही देगा यदि आप इसे पहले पकड़ नहीं पाये तो, मैं यहाँ किस चीज़ की बात कर रहा हूँ ये आप सिरीज़ देख ही जाने तभी उसका मज़ा है अन्यथा मेरे बताने से वह उतना मज़ेदार नहीं लगेगा।

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Shreya Dhanwanthary

यमिनी का किरदार निभाने वाली एक्टर श्रेया धन्वन्तरी का स्क्रीन टाइम और बहुत ज्यादा कम था तो उनके बारे में ज्यादा कुछ कहने को है नहीं।

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T. J. Bhanu

टीपू की प्रेमिका अर्थात अंग्रेजी टीचर, इस सिरीज़ में उनके द्वारा बोले गये संवाद काफी अच्छे लगते है पर उनमें थोड़ी हाव भाव की कमी लगती है। जिसे आप सिरीज़ देखके महसूस करेंगे।

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इन सब के अतिरिक्त सभी एक्टर जैसे पूजा गौर, संचय गोस्वामी, विपिन शर्मा, वरुण बडोला, रजतव दत्त, ने अपने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। और सभी ने एक्टिंग में कोई कमी नहीं छोड़ी है।  इस सिरीज़ की कास्टिंग काफी अच्छी थी राज और डीके की पुरानी सिरीज़ की तुलना में।

इस सिरीज़ को आपको एक बार ज़रूर देखना चाहिये

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